कोरोना से डर क्यों नही ?
कोरोना को रोकने का प्रयास करना और आपदा से लड़ने के लिए जनता में आत्मविश्वास बढ़ना। कोरोना को रोकने के लिए सरकारी प्रयास युद्ध स्तर पर जारी है फोन की कॉलर टोन से लेकर पेपर में बड़े विज्ञापन जारी कर समय समय पर एडवाइजरी जारी की जा रही है। बार बार व्यवस्था में परिवर्तन किया जा रहा है। लॉकडाउन, अनलॉक, शनिवार-रविवार बाजार बंद, कभी रात को 8 बजे बाजार बंद, कभी कुछ समय, आज फलां दुकान खुलेगी फलां बंद रहेगी। क्या कोरोना की रफ्तार थमी, नही न? ऐसा क्यों हो रहा है पर सरकारी चिंतन क्यों नही?
इस विषय पर बाजार, दुकान, शराब ठेके, बस स्टैंड, मेडिकल स्टोर, पार्टी दफ्तर पर जाकर लोगों से चर्चा की। कई बिंदु हमें मिले जो ये बता रहे की जिम्मेदार सरकार के नियमों का पालन न करना ही कोरोना की रफ्तार को पंख लगा रहा है।
बिना मास्क लगाये व्यक्ति-1 से चर्चा करने पर बताया गया कि वहाँ मास्क इसलिए नही लगाया क्योंकि वहाँ घर से लगाकर आया था मार्केट में भीड़ के कारण उसे घबराहट होने लगी तो मास्क हटा लिया।
दुकान पर लगी भीड़ पर जब दुकानदार से बात की तो उन्होंने बताया की सिर्फ शाम के समय भीड़ होती है हम सामान दें या भीड़ को समझाये बिना मतलब का विवाद, ग्राहक नाराज हो जाते है।
शराब की दुकान पर लगी भीड़, बिना मास्क के झुंडनुमा लाइन में लगे व्यक्ति-2 ने बताया की अभी बस लेंगे और चले जाएंगे। भइया रोज आते है यहां सब ऐसे ही रहता है यहां कोरोना नही आता।
चौकीदारी की व्यवस्था बना रहे गार्ड से पूछा तो बोला किस किस को मुंह लगाए।
दुकानदार, लेना है तो लो नही तो हटो ज्यादा नेतागिरी मत करो जो करना है कर लो जाओ यहां से कुछ नही होने वाला। पीछे से ग्राहक सरकार को पैसा कामना है जाओ यहां लोग आते जाते रहते है।
मेडिकल स्टोर हमें डर नही लगता कोरोना है भी है या नही हमने जब से कोरोना आया है बिना छुट्टी करें दुकान खोलकर रखी है भीड़ नही लगती है हम मास्क का नही बोल सकते सरकार दिन रात बोल रही है। कौन सुन रहा है।
सब्जीदुकान, क्या भैया हमारे अकेले मास्क लगाने से क्या होगा। हमारे पास सब तरह के लोग आते है क्या होगा?
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