वैशाख पूर्णिमा 26 मई मनाई जाएगी. इसी दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा को स्नान-दान करने का विशेष महत्व है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया दान बहुत लाभकारी होता है. वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. मान्यता है कि महात्मा बुद्ध श्री हरि विष्णु का नौवां अवतार हैं. बुद्ध पूर्णिमा को हिंदुओं के अलावा बौद्ध धर्म के लोग बौद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं.
पूर्णिमा तिथि 25 मई 2021, दिन मंगलवार की रात 08 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी और 26 मई दिन बुधवार की शाम 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगी.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बन रहे ये दो शुभ योग
इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन रात 10 बजकर 52 मिनट तक शिव योग रहेगा. इसके बाद सिद्ध योग शुरू हो जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग किसी शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त होता है. अगर किसी शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिलता तो इस योग में किया जा सकता है. मान्यता है कि इस दो शुभ योग में किए गए कामों में सफलता मिलती है.
सूर्य और चंद्रमा की स्थिति
बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्रमा वृश्चिक राशि और सूर्य वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे. इस दिन सूर्य नक्षत्र रोहिणी रहेगा, जबकि नक्षत्र पद अनुराधा और ज्येष्ठा रहेगा.
शुभ मुहूर्त में करें दान और स्नान
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 03 बजकर 54 मिनट से 04 बजकर 35 मिनट तक.
विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 22 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक.
गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 41 मिनट से 07 बजकर 05 मिनट तक.
अमृत काल 04 बजकर 08 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक.
सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 17 मिनट से रात 01 बजकर 16 मिनट तक.
अमृत सिद्धि योग 27 मई की सुबह 05 बजकर 17 मिनट से 01 बजकर 16 मिनट तक।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है. इसके बाद श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है. मान्यता हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं. धर्मराज मृत्यु के देवता हैं, इसलिए उनके प्रसन्न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन तिल और चीनी का दान शुभ होता है. इस दिन चीनी और तिल दान करने से अनजान में हुए पापों से भी मुक्ति मिलती है.
क्या है चमत्कारी मंत्र?
बौद्ध धर्म के लोगो मानते हैं कि 'ॐ मणि पदमे हूम्' मंत्र का जाप करने से इंसान की मुश्किलें कम हो सकती हैं. इस मंत्र का जाप बौद्ध धर्म की महायान शाखा में प्रमुख रूप से किया जाता है. प्रार्थना चक्र, स्तूपों की दीवार, धार्मिक स्थलों पर मौजूद पत्थरों, मणि आदि पर इस मंत्र को देखा जा सकता है. जिस प्रार्थना चक्र पर यह मंत्र छपा होता है उसे एक बार घुमाने पर यह समझा जाता है कि इस मंत्र का जाप 10 लाख बार किया है. यह मंत्र अंगूठी या अन्य आभूषणों में भी मुद्रित किया जाता है।
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