Saturday, May 15, 2021

अटल जी की कविता "कदम मिलाकर चलना होगा" आज अत्यंत प्रासंगिक

  Kolar News       Saturday, May 15, 2021

                         
डी.सी. सागर


आज के इस वैश्विक महामारी कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में भारत रत्न, भारत के भूतपूर्व प्रधान मंत्री जी आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की कविता : "कदम मिलाकर चलना होगा," अत्यंत प्रासंगिक प्रतीत होती है। यह हमारे अंत:करण में सम्बल और आत्म बल को पुरजोर पुनर्स्थापित और संचारित करने में सफल हैं।उदाहरणार्थ:

" बाधाएं आती हैं आएं,घिरें प्रलय की घोर घटाएं।

पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं।

निज हाथों से हंसते-हंसते,आग लगाकर जलना होगा। 

कदम मिलाकर चलना होगा।"

ये पंक्तियां जिस समय लिखी गई होंगी, उस समय संभवतः कोई वैश्विक महामारी का प्रकोप नहीं रहा होगा। परंतु कवि की दूरदृष्टि और मानवीय संवेदनशीलता से ओतप्रोत मन में यह परिकल्पना अवश्य रही होगी कि मनुष्य के समक्ष में यदि किसी भी समय, किसी भी प्रकार की विध्वंसक और प्रलयकारी परिस्थितियां आती हैं तो सभी मनुष्यों को एकजुट होकर, निडरता से, मिलकर, एक टीम भावना के साथ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उसका मुकाबला करना चाहिए। इस कोविड-19 के वैश्विक महायुद्ध पर अजेय विजय प्राप्त करने के लिए अटल और दृढ निश्चय के साथ प्रवृत्त होना चाहिए। यह संज्ञा सटीक  प्रतीत होती है कि कोविड-19 मनुष्य जीवन में प्रलय की घोर घटा है, पांव के नीचे अंगारे और सिर पर ज्वाला वृष्टि के समान है जिसमें मनुष्य का सर्वनाश अवश्यंभावी होता है। परंतु इस महाआपदा का मुकाबला करने, उसे परास्त करने के लिए सभी मनुष्यों को अपनें-अपनें अंदर जोश और होश रूपी आग  प्रज्वलित कर सभी के साथ कदम मिलाकर ही चलना  होगा और अपना-अपना योगदान सकरात्मकता से देना होगा।

" हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में...कदम मिलाकर चलना होगा ."

कोविड-19 ने मनुष्य को ललकारा है और मनुष्य  ने भी इस ललकार का मुहतोड जवाब दिया है और कमर कसकर मुकाबला करते जा रहा है। रोज़ हमारे देश के अनेकानेक लोग कोविड-19 के क्रूर प्रहार से मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं । यह अत्यंत दःखद और हृदयविदारक घटनाएं हैं। परंतु  मनुष्य में एक अटूट आशा विराजमान है जो यह है आश्वासन देती है कि वह एक  दिन इस कोविड-19 के विरूद्ध अवश्य कामयाब होंगें और सर्वत्र सही स्वास्थ्य और कुशलक्षेम वितरित करेंगे। हमारे देश के डॉक्टर, वैक्सीन विशेषज्ञ और उनके सहयोगी परहित में  इसी  संकल्प के साथ कोविड-19 के उपयुक्त और कारगर उपचार के शोध और उसके  विरुद्ध वैक्सीन के क्षमता विस्तार और उन्नयन में प्राण प्रण से कार्यरत हैं। हमारे देश में कोविड-19 से ग्रसित नागरिकों के स्वस्थ होने का प्रतिशत अत्यंत उत्साहजनक हैं। यह हमारे  देश की कोविड-19 से लड़ने की आपदा प्रबंधन क्षमता, उसके क्रियान्वयन, चिकित्सकीय व्यव्स्था पर  प्रकाश डालता है कि वह कारगर है, आधुनिक है और लोकोनमुखी है।

" उजियारे में, अंधकार में....कदम मिलाकर चलना होगा. "

आज परिजनों और मित्रों की ओर से जन्म दिन के संदेशों से ज्यादा मृत्यु के शोक संदेश प्राप्त हो रहे है और उससे मन विचलित और भयाक्रांत हो उठता है जो कि स्वाभाविक है।अपनों को खोने का दर्द और अपनों का कोविड-19 से अस्वस्थ होने की पीड़ा, वास्तव में असहनीय और अवसादपूर्ण होती है। इन विषम  परिस्थितियों  में हम उस समय पुनः सजीव और क्रियाशील हो उठते हैं, उस दुर्दांत दुश्मन से लड़ने के लिए, जिस समय  हमें  कोई हमारे कदम के  साथ कदम मिलाकर चलने को कहता है और दृढ़ता से हमें हमकदम होने के लिए प्रेरित करता है। इससे  दुःख दर्द का अंधकार छटता है और उजियारे का साम्राज्य स्थापित होने लगता है। यही भाव इस कविता के अध्ययन  से स्वतः प्रस्फुटित होते हैं और आशा की किरण को जन्म देते  है।। 

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कोविड-19  संक्रमणकारी बीमारी है, फिर भी शासन के निर्देशो का पालन करने और  करवाने में  अनेक विभागों के लोग निःस्वार्थ भाव से अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहें हैं। इन में डाक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, पुलिस,  कार्यपालक दंडाधिकारी , नगरनिगम कर्मी, सब प्रकार की मीडिया, श्मशान धाट, कब्रिस्तान आदि में कार्यरत लोग हैं जिनका अपने कर्तव्य से योगदान सर्वश्रेष्ठ बलिदान स्वरूप सम्मान का हक़दार  है। इसी संकल्पित कर्तव्यपथ पर चलते हुए अनेक लोग  शहीद भी हुए है जिन्हें हृदय से कोटि कोटि नमन और  सादर श्रद्धांजलि अर्पित  है।

" कुछ कांटों से सज्जित जीवन...कदम मिलाकर चलना होगा."

आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के कवि मन ने परहित को सर्वोपरि मानकर हमें कदम से कदम  मिलाकर चलने और उसमें अंतर्निहित सफलता का अचूक संदेश दिया है। आज  कोविड-19 को परास्त कर नेस्तनाबूद करने का यही एक मात्र मंत्र है कि हम सब अपने-अपने मतभेद भुलाकर, मिलजुलकर, सामुहिक सामर्थ्य जुटाकर  कदम के साथ कदम मिलाकर चलें। परंतु यह कदम निःस्वार्थ कर्म करने के अटूट भाव से उठना चाहिए। यदि लोग स्वार्थ लिप्सा, प्रपंच, चोरी, डकैती,अनियमितता और  कालाबाजरी  के भाव से वशीभूत होंगे तो इस वैश्विक महामारी के काल  में सबसे पहली मृत्यु मानवता की होगी। मनुष्य को लोक हित में स्वयं ही इन आपराधिक और अनैतिक प्रवृत्यात्मक मनोविकारों  को त्याग देना चाहिए।साथ ही, हर प्रकार के मीडिया का परहित में सकारात्मकता से कदम मिलाकर चलने का योगदान,  कोविड-19 के विरुद्ध महायुद्ध में जीत सुनिश्चित करने में मील का विजयी पत्थर साबित होगा। 

यह  कविता "कदम मिलाकर चलना होगा",  मानव में मानवीय संवेदनशील सोच का  तारूण्य युक्त युवा रक्त का संचार करने में सफल है, यदि इसके भाव को निष्ठापूर्वक अध्ययन किया जाए। यह तन के साथ मन की अविस्मरणीय जीत भी होगी। कोविड-19 के विरूद्ध युद्ध, नैतिकता के नियमों के पालन करने से  ही जीती जा सकती है। इस प्रकार निश्चित ही परिजनों और मित्रों के यहाँ से हँसी खुशी और जन्मदिन के संदेश, शोक संदेशों पर भारी पडेंगे।

( लेखक पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक है)


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