नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया है कि वह जातिगत जनगणना नहीं करवाएगी। इसके बाद देश में सियासी घमासान मच गया है। भाजपा के सहयोगी दलों के साथ ही विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति जताई है। आने वाले दिनों में यह मामला और उलझ सकता है। एनडीए में भाजपा की सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने फैसला पर हैरानी व्यक्त की है। वहीं लालू यादव ने कहा है कि भाजपा और आरएसएस पिछड़ों और दलितों की भलाई के खिलाफ हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया, केन्द्र सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना कराने से साफ तौर पर इन्कार कर देना यह अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय, जो भाजपा के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश व इनकी कथनी व करनी में अन्तर को उजागर करता है। सजगता जरूरी। एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की माँग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है, लेकिन केन्द्र का इससे साफ इन्कार पूरे समाज को उसी प्रकार से दुःखी व इनके भविष्य को आघात पहुँचाने वाला है जैसे नौकरियों में इनके बैकलॉग को न भरने से लगातार हो रहा है।
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 2021 में जाति जनगणना नहीं की जा सकती है और सोच समझकर ही इसे हटाने का फैसला किया गया है। जनगणना में एससी और एसटी जातियों की जनगणना की जाती है और वह इस बार भी होगी, लेकिन इसके अलावा किसी अन्य जाति की गणना इस जनगणना में नहीं होगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि महारष्ट्र सरकार को पिछड़े वर्ग के नागरिक (BCC) पर जानकारी इकट्ठी करने को कहा गया है। इसके जवाब में ही केन्द्र सरकार ने यह बात कही है।
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि "जनगणना में 1951 से एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों को आज तक शामिल नहीं किया गया है"।
इस वजह से जातिगत गणना नहीं कर रही सरकार
इसके हलफनामे में कहा गया है कि "जब आजादी के बाद पहली बार 1951 की जनगणना की तैयारी चल रही थी, भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर जातिगत नीतियों को हतोत्साह करने का फैसला किया था। यह निर्णय लिया गया कि सामान्य तौर पर, कोई जाति/जनजाति की पूछताछ नहीं की जानी चाहिए और ऐसी पूछताछ संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित अनुसूचित जातियों और जनजातियों तक सीमित होनी चाहिए।

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