पंजाब : रणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के पहले दलित सीएम के रूप में शपथ ले ली। सुबह करीब 11.20 बजे राजभवन में हुए शपथग्रहण समारोह में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पद तथा गोपनीयता की शपथ दिलाई। चरणजीत सिंह चन्नी के साथ ही सुखजिंदर सिंह रंधावा और फिर ओम प्रकाश सोनी (ओपी सोनी) ने भी शपथ ली। इन्हें डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। राजभवन में 41 लोगों को आने की अनुमति मिली थी। राहुल गांधी, नवजोत सिंह सिद्धू, हरीश रावत, सुनील जाखड़ समेत सभी बड़े नेता मौजूद रहे। कैप्टन अमरिंदर नहीं पहुंचे। रंधावा एक सिख चेहरा हैं, वहीं ओपी सोनी हिंदू नेता हैं। इस तरह कांग्रेस ने सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है।
शपथ ग्रहण से पहले फूटा नया बम
पंजाब कांग्रेस के नए सीएम के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी का नाम फाइनल होने के बाद लग रहा था कि सियासी घमासान थम जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। Charanjit Singh Channi के शपथ लेने से ठीक पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी प्रभारी हरीश रावत के उस बयान पर आपत्ति दर्ज करवाई है कि पंजाब में अगला विधानसभा चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू को चेहरा बनाकर लड़ी जाएगी। सुनील जाखड़ का कहना है कि रावत का ऐसा कहना, नए मुख्यमंत्री की क्षमता को कम आंकना है। वहीं भाजपा ने भी इसे दलित का अपमान करार दिया है। यानी एक बार फिर हरीश रावत का बयान कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। इससे पहले हरीश रावत ने कहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ही 2022 के चुनाव में पार्टी का फेस होंगे। इस पर सिद्धू और कैप्टन की तनातनी तो बढ़ गई है, लेकिन रावत झूठे साबित हुए।
Charanjit Singh Channi के जरिए कांग्रेस ने खेला दलित कार्ड
58 वर्षीय Charanjit Singh Channi पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले छह महीने से भी कम समय में मुख्यमंत्री रहेंगे। अमरिंदर सिंह को पद छोड़ना पड़ा क्योंकि वे 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी द्वारा किए गए वादों को पूरा करने में विफर रहे। पंजाब की राजनीति को जानने वाले बता रहे हैं कि निश्चित नहीं है कि नया सीएम अपने लिए उपलब्ध समय में कार्य पूरा कर पाएगा या नहीं। हो सकता है कि हाल ही में पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए नवजोत सिंह सिद्धू को सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश कर दिया जाए। लेकिन यह बात साफ है कि चन्नी की नियुक्ति से पार्टी को चुनाव में दलित कार्ड खेलने का मौका मिला है। राज्य की अनुमानित 30 प्रतिशत आबादी, जिसमें सिख और हिंदू दोनों शामिल हैं, दलित समुदाय से हैं।
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