Saturday, October 23, 2021

अमित शाह ने 'अनुच्छेद 370' के साथ ही खत्म कर डाले थे 164 कानून

  Anonymous       Saturday, October 23, 2021

 केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए अब जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का रास्ता तैयार कर दिया है। हालांकि अभी तक लोगों की कोई बड़ी संख्या, जमीन खरीदने के लिए आगे नहीं आई है। कुछ ही लोगों द्वारा जमीन खरीदने की बात कही गई है।


नई दिल्ली :केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के पहले दिन शनिवार को श्रीनगर पहुंच गए हैं। पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे 'अनुच्छेद 370' को समाप्त करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री की यह पहली यात्रा है। अमित शाह ने जिस तरह से एक झटके में 'अनुच्छेद 370' को खत्म किया, उसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में 164 कानूनों को भी निरस्त कर दिया था। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिले, इसके लिए 138 कानूनों में आंशिक तौर पर या बड़े बदलाव किए गए। इसके बाद ही केंद्र सरकार के 170 कानूनों को जम्मू-कश्मीर में लागू किए जाने का मार्ग प्रशस्त हो सका। सीबीआई ने जब 25 हजार करोड़ रुपये के जमीन घोटाले की जांच शुरू की तो जम्मू कश्मीर पर राज करने वालों को वह 'रोशनी' धुंधली नजर आने लगी।

2019 के बाद लागू हुए अधिकांश कानून

जम्मू-कश्मीर में जब तक 'अनुच्छेद 370' व 35(ए) रहा, तब तक केंद्र सरकार के अधिकांश कानून यहां लागू नहीं हो सके। यहां के लोगों को केंद्र सरकार की कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका। पांच अगस्त 2019 के बाद एकाएक जम्मू कश्मीर में केंद्र के 170 से अधिक कानून लागू हो गए। इनमें राइट-टू-एजुकेशन, मैंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2001, नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एक्ट और बेनिफिट ऑफ वूमेन, चिल्ड्रन एंड डिसेबल्ड पर्सन, आदि शामिल हैं। भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार, ये कानून भी अब जम्मू-कश्मीर में लागू हो गया है। इसके अलावा मिनिस्टर ऑफ स्टेट सेलरी एक्ट में भी बदलाव किया गया। स्टेट लेजिस्लेचर मेंबर्स पेंशन एक्ट 1984 को निरस्त कर दिया गया। डोमिसाइल नीति में व्यापक बदलाव किए गए।

बाहरी भी खरीद सकते हैं जमीन

केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए अब जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का रास्ता तैयार कर दिया है। हालांकि अभी तक लोगों की कोई बड़ी संख्या, जमीन खरीदने के लिए आगे नहीं आई है। कुछ ही लोगों द्वारा जमीन खरीदने की बात कही गई है। जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से वह वाक्य हटा लिया गया है, जिसमें जमीन खरीदने के लिए राज्य का स्थायी निवासी होने की बात कही गई थी। नियमों में इस तरह का बदलाव होने के बाद, कुछ मामलों को छोड़ दें तो कृषि योग्य भूमि को गैर खेती के कार्यों के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गई है। जम्मू-कश्मीर से बाहर अन्य राज्यों में शादी करने वाली स्थानीय महिलाओं के पति भी यहां का मूल निवासी प्रमाण पत्र हासिल कर सकते हैं। ऐसा होने के बाद उन्हें कई दूसरी सुविधाएं मिल गई हैं। अब वे भी जम्मू कश्मीर में संपत्ति खरीद सकते हैं। दूसरे स्थानीय लोगों की तरह उन्हें भी सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन जमा कराने का अधिकार मिल गया है। स्थानीय लोगों ने इस निर्णय को एक बड़ी उपलब्धि माना है।

रोशनी एक्ट का घोटाला सामने आया

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद डोमिसाइल नीति में भी बदलाव किए गए हैं। केंद्र शासित प्रदेश में अगर कोई व्यक्ति 15 वर्ष तक रहा है, सात साल तक पढ़ाई की है, 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले लोगों और उनके बच्चों को भी यहां का मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र दिया जाने लगा है। जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि अधिनियम 2001, जिसे 'रोशनी' का नाम दिया गया था, अब यह एक्ट कई पार्टियों के नेताओं और पूर्व नौकरशाहों की नींद हराम कर रहा है। तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने जल विद्युत परियोजनाओं की खातिर फंड एकत्रित करने के लिए यह कानून बनाया था। रोशनी एक्ट में भूमि का मालिकाना हक उसके अनधिकृत कब्जेदारों को इस शर्त पर दिया जाना था कि वे बाजार भाव पर भूमि के मूल्य का भुगतान करेंगे। इसके लिए कटऑफ मूल्य 1990 की गाइडलाइन के अनुसार तय किया गया था। सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले किसानों को कृषि के लिए मालिकाना हक दिया दे गया। दो बार इस एक्ट में संशोधन कर दिए गए। 2014 के दौरान सीएजी रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा हुआ। सरकार को रोशन एक्ट के तहत 25 हजार करोड़ रुपये मिलने थे, जबकि सरकारी खजाने में सिर्फ 76 करोड़ रुपये ही जमा हुए थे। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के आदेश पर अब सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। अपने परिजनों, रिश्तेदारों और सौदागरों को 'रोशनी' एक्ट के जरिए कोड़ियों के दाम पर जमीन दिलाने वाले नेता व पूर्व नौकरशाह अब जांच एजेंसी के रडार पर हैं।

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