ग्वालियर। विशेष सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने शनिवार को फर्जी तरीके से पीएमटी पास करने वाले आरोपित अरविंद अग्निहोत्री को पांच साल की सजा सुनाई है। साथ ही अलग-अलग धाराओं में 3600 रुपये का अर्थदंड लगाया है। आरोपित को सजा काटने के लिए जेल भेज दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा किव्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) में हुए फर्जीवाड़े से योग्य विद्यार्थियों का रुझान कम हुआ है। इन परिस्थितियों में आरोपित को कठोर दंड से दंडित किया जाना उचित होगा। इस मामले में सीबीआइ ने साक्ष्यों का अभाव बताते हुए मिडिलमैन अनिल यादव की खात्मा रिपोर्ट पेश की थी, जबकिअनिल यादव ने अरविंद अग्निहोत्री के फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। सीबीआइ सॉल्वर का पता नहीं कर सकी थी।
वर्ष 2009 में अरविंद अग्निहोत्री निवासी प्रेमनगर जौरा जिला मुरैना ने फर्जी तरीके से पीएमटी पास की थी। उसने अपनी जगह परीक्षा में सॉल्वर को बिठाया था। 2009 में जीआर मेडिकल कालेज में प्रवेश लेकर पांच साल छह महीने में एमबीबीएस की डिग्री की थी, लेकिन पीएमटी फर्जीवा़ड़े का पर्दाफाश होने पर झांसी रोड थाने में अरविंद अग्निहोत्री के खिलाफ केस दर्ज किया गया। 6 जुलाई 2015 में यह केस सीबीआइ को हैंडओवर हो गया। सीबीआइ को इस मामले की जांच खत्म करने में दो साल लग गए। 3 जुलाई 2017 को अरविंद अग्निहोत्री के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया।
आरोप तय होने के बाद इस मामले में सीबीआइ ने ट्रायल कराई। गवाह पेश किए गए। कोविड-19 के चलते ट्रायल डेढ़ साल लेट हो गई, लेकिन अब कोर्ट में तेजी से ट्रायल शुरू हो गई है। अब पीएमटी कांड के दूसरे केस में फैसला आया है। सीबीआइ की ओर से आरोपित को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की गई। विशेष लोक अभियोजक चंद्रपाल ने तर्क दिया किसमाज में संदेश देने के लिए आरोपित को कड़ी सजा दी जाए, जबकिआरोपित की ओर से कहा गया किउसे झूठा फंसाया गया है। यह उसका पहला अपराध है। इसलिए कम से कम सजा दी जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पांच साल की सजा सुनाई है
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