इंदौर । जबलपुर से आए एक आदेश के बाद सालों से न्यायालयों की अलमारियों में पड़े-पड़े धूल खा रहे प्रकरण अचानक दौड़ने लगे हैं। सुनवाई की रफ्तार देख वकील भी चकित हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि जिन प्रकरणों में लंबी-लंबी तारीखें लगती थी उनमें रोज दर रोज सुनवाई होने लगी है।
दरअसल मुख्य न्यायाधिपति ने सभी अधिनस्थ न्यायालयों को आदेश दिया है कि वे पांच साल से ज्यादा पुराने प्रकरणों के निराकरण की गति को बढ़ाएं। कोशिश करें कि 31 दिसंबर 2021 तक ज्यादातर पुराने आपराधिक प्रकरणों का निराकरण हो जाए। न्यायालयों को 25-25 पुराने प्रकरण निराकरण के लिए चिन्हित कर सौंपे भी गए हैं। जबलपुर से आए इस आदेश के बाद न्यायालयों की परेशानी भी बढ़ गई है क्योंकि 8 नवंबर से 31 दिसंबर तक कोर्ट सिर्फ 33 दिन ही काम करेगी। बाकी दिन अवकाश है।
जिला न्यायालय में करीब दो लाख प्रकरण लंबित हैं। इनमें से 18 हजार ऐसे हैं जो 10 साल या इससे ज्यादा पुराने हैं। इन प्रकरणों के निराकरण के लिए हाल ही में मुख्य न्यायाधिपति ने अधिनस्थ न्यायालयों को एक आदेश जारी कर 31 दिसंबर से पहले कम से कम 25 पुराने मामलों का निराकरण करने को कहा है। इस आदेश के बाद जिला न्यायालय में अचानक प्रकरणों की सुनवाई की गति बढ़ गई है।
न्यायालयों के सामने दिक्कत यह है आठ नवंबर से 31 दिसंबर तक उन्हें काम करने के लिए सिर्फ 33 दिन ही मिल रहे हैं। नवंबर में 17 और दिसंबर में सिर्फ 16 दिन ही न्यायालयों में कामकाज होना है। ऐसी स्थिति में लक्ष्य हासिल करने के लिए न्यायालय इन प्रकरणों को दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई के लिए लगा रहे हैं। वकीलों को भी सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा काम करना पड़ेगा।
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