कलावरी क्लास सबमरीन यानी पनडुब्बी INS Vela आज भारतीय नौसेना में शामिल हो गई। कलावरी श्रेणी की चौथी पनडुब्बी INS Vela करीब 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची और 1565 टन वजनी है। INS Vela में मशीनरी लगाने के लिए करीब 11 किमी पाइप और 60 किमी केबल फिटिंग का काम हुआ है।
- INS Vela पनडुब्बी विशेष स्टील से बनाई गई है और इसकी उच्च तन्यता
ताकत है, जो पानी के नीचे गहरे संचालन में सक्षम है। INS Vela की स्टील्थ
तकनीक रडार सिस्टम को धोखा देने में सक्षम बनाती है। दुश्मन का राडार इन
पनडुब्बी को आसानी से ट्रैक नहीं पाएगा।
- INS
Vela पनडुब्बी दुश्मन को देखे बिना अपना काम पूरा कर सकती है। इसके अलावा
इसे किसी भी मौसम में बगैर किसी परेशानी के ऑपरेट किया जा सकता है।
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INS वेला दो 1250 kW डीजल इंजन से लैस है और इसमें 360 बैटरी सेल हैं। हर
बैटरी सेल का वजन 750 किलो के करीब है। इन बैटरियों के दम पर INS Vela 6500
नॉटिकल मील यानी करीब 12000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। INS Vela यह
यात्रा सिर्फ 45-50 दिनों पूरी कर सकती है।
- INS
Vela पनडुब्बी 350 मीटर तक की गहराई में भी दुश्मन का पता लगाने में सक्षम
है। आईएनएस वेला की टॉप स्पीड की बात करें तो यह 22 के नोट हैं।
- INS Vela में पीछे की ओर फ्रांस से उधार ली गई तकनीक के साथ एक
चुंबकीय प्रणोदन मोटर भी लगाई गई है। इस चुंबकीय प्रणोदन मोटर की आवाज
पनडुब्बी से बाहर नहीं जाती है, इसलिए INS Vela सबमरीन को साइलेंट किलर कजा
रहा जा है।
- INS Vela में काफी उन्नत हथियार
हैं, जो युद्ध के समय दुश्मनों के आसानी के छक्के छुड़ाने में सक्षम है।
INS Vela पर 6 टॉरपीडो ट्यूब बनाए गए हैं, जिनसे टॉरपीडो दागे जाते हैं।
इसमें अधिकतम 18 टॉरपीडो ले जाने की क्षमता है। इस पनडुब्बी पर एंटी-शिप
मिसाइल SM39 को भी ले जाया जा सकता है। इसके जरिए खदान भी बिछाई जा सकती
हैं।
- पनडुब्बी में मौजूद हथियार और सेंसर हाई टेक्नोलॉजी कॉम्बैट मैनेजमेंट
सिस्टम से आपस में कनेक्ट रहते हैं। INS Vela अन्य सभी नौसैनिक युद्धपोतों
के साथ कम्युनिकेशन आसानी से कर सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले
स्कॉर्पियन क्लास की 6 पनडुब्बियों में से भारत को 3 पनडुब्बियां आईएनएस
कलवरी, खंडेरी और करंज मिल चुकी हैं।
स्वदेशी पनडुब्बी है INS Vela
केंद्र सरकार ने 2005 में फ्रांस की कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप (पहले DCNS)
के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत एक करार किया था, तब यह करार 3.5 अरब
अमेरिकी डॉलर का था। इस सौदे के बाद INS Vela को भारत में बनाया गया है,
जो अधिकांश तकनीक स्वदेशी है। INS Vela को 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत
निर्मित किया गया है।
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