उमरिया। आश्चर्यपूर्ण ढंग से ऐसे लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी का शिकार हो रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन में न तो कभी शराब को हाथ लगाया और न ही सिगरेट और तंबाकू को छुआ। ऐसे लोगों के जीवन में एक बड़ा सवाल है कि जब वे किसी व्यसन में नहीं फंसे तो फिर उन्हें कैंसर जैसा घातक रोग कैसे हो गया। न सिर्फ इस सवाल का जवाब देने बल्कि लोगों को यह जानकारी देने का अभियान जिले की युवा टीम ने शुरू किया है। यह टीम लोगों को बता रही है कि पालीथिन के कारण कैंसर जैसे घातक रोगों का शिकार आम लोग बनते हैं। इसलिए पालीथिन से तौबा कर लेनी चाहिए।
जिले में शुरू हुआ यह अभियान जिले के तीस गांव में एकसाथ चलाया जा रहा है। इस अभियान में जिले के अलग-अलग क्षेत्र के तीन सौ से ज्यादा युवा शामिल हैं। युवा टीम के लीडर हिमांशु तिवारी ने बताया कि तीन गांव में एक एक गांव में एक सप्ताह तक अभियान चलाया जा रहा है।घरों में तैयार हो रहे थैले
लोगों को पालीथिन से मुक्ति का सिर्फ संदेश नहीं दिया जा रहा है बल्कि उन्हें कपड़े से बने थैले भी बांटे जा रहे हैं। हिमांशु तिवारी ने बताया कि कुछ रेडीमेड थैले जनसहयोग से एकत्र किए गए हैं। जबकि सभी सदस्यों के घरों पर पुराने कपड़ों से भी थैले तैयार कराए जा रहे हैं। थैला बनाने में युवा टीम के सदस्यों के घर की महिलाएं अपना सहयोग दे रहीं हैं। पिछले दो दिनों में एक हजार से ज्यादा लोगों को थैलों का वितरण किया जा चुका है।
खतरे से अनजान हैं लोग
हिमांशु तिवारी ने बताया कि पालीथिन के उपयोग से हो रहे दुष्प्रभावों से लोग अनभिज्ञ हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि पालीथिन एक प्रकार का जहर है, जो पूरे पर्यावरण को नष्ट कर रहा है। पालीथिन के कारण पेड़-पौधे नहीं पनप पाते और इसे कचरे में फेंकने से मवेशियों पर भी इसका असर होता है। मूक मवेशी इसे खा लेते हैं और यह उनके पेट में एकत्र होती जाती है जिससे उनकी मौत भी हो जाती है।
ऐसे शुरू किया काम
कोरोना की पहली लहर के दौरान युवाओं ने परेशान लोगों को सहायता पहुंचने का काम शुरू किया था। यह अभियान अभी भी जारी है और इसकी के साथ इस टीम ने ग्रामीण क्षेत्र में अपना नेटवर्क तैयार किया था।
अच्छा प्रयास
युवा टीम पालीथिन उन्मूलन का अच्छा प्रयास कर रही है। लोगों को भी इसमें अपना सहयोग करना चाहिए।
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