भोपाल। मप्र सरकार रोप-वे ट्रांसपोर्ट के लिए पालिसी बना रही है। इसकी शुरुआत भोपाल, इंदौर, रीवा, सतना सहित 16 नगर निगम में की जाएगी। इस प्रस्ताव के बाद रोप-वे के लिए संबंधित चयनित स्थानों पर फिजिबिलटी सर्वे भी कराया जाएगा। भोपाल में 1991 के मास्टर प्लान में स्व. एमएन बुच ने रोप-वे ट्रांसपोर्ट पालिसी को शामिल किया था लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया। अब फिर से यह पालिसी लाई जा रही है।
हालांकि रोप-वे पालिसी का प्रयोग पहाड़ी क्षेत्रों में परिवहन के लिए ही अब तक किया जाता था। मप्र में इस तरह की कोई पालिसी नहीं थी। अब हिमाचल प्रदेश की रोप-वे पालिसी के अनुरूप प्लानिंग शुरू की गई है। इस पालिसी से भीड़ वाले क्षेत्र में जाम की समस्या से निजात मिलेगी। इसके अनुसार पहले चरण में मेट्रो सिटी को लिया गया है जिसमें भोपाल और इंदौर शामिल हैं। इस प्रणाली में पेड़ काटने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।
नगर निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों के अलावा भीड़ वाले स्थानों पर भी इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इससे बिना किसी बाधा के लोग आवागमन कर सकेंगे। अभी इसके लिए बड़ा-छोटा तालाब, चौक बाजार सहित एमपी नगर में फिजिबिलटी सर्वे कराया जा रहा है। इसके आधार पर जाम वाली स्थितियों में यह व्यवस्था कितनी कारगर होगी, यह देखा जाएगा। इसके बाद रोप-वे लगाने का काम श्ाुरू होगा।
मेट्रो से 10 गुना सस्ता है रोप-वे परिवहन
जानकारों के मुताबिक रोप-वे परिवहन मेट्रो के मुकाबले 10 गुना सस्ता है। इसके तहत नौ मीटर से लेकर पांच किमी तक लंबा रोप-वे बनाया जा सकता है। एक ट्राली में छह से दस लोग एक बार में सफर कर सकते हैं। बिजली से संचालित होने वाले रोप-वे के निर्माण में सिर्फ एक कंट्रोल रूम और रोप-वे सेटअप की जरूरत होती है। कहीं पेड़, हरियाली या अन्य प्राकृतिक चीजों में नुकसान नहीं पहुंचता है। बता दें कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उसी सोच का हिस्सा है, जिसमें लोगों की उम्मीदों को पूरा करने और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए अलग-अलग परिवहन साधनों का विकास किया जा सकेगा।
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