Thursday, September 30, 2021

हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण मामले की अंतिम सुनवाई सात अक्टूबर के लिए बढाई

  Anonymous       Thursday, September 30, 2021

 जबलपुर :  मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी आरक्षण की अंतिम सुनवाई सात अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। समयाभाव के कारण सुनवाई आगे बढ़ा दी गई। इससे पूर्व राज्य शासन की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता व महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने पक्ष रखा। ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह व अभिषेक मनु सिंघवी खड़े हुए।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती परीक्षा, पीजी नीट परीक्षाओं व मेडिकल ऑफिसर्स की भर्ती में ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से अधिक किए जाने पर लगाई रोक बरकरार रखी है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने राज्य सरकार के दो सितम्बर को जारी उस नोटिफिकेशन पर रोक लगाने या रोक लगाने से इन्कार करने के सम्बंध में अपना कोई मत व्यक्त नही किया। कोर्ट ने सभी विचाराधीन पहलुओं पर सात अक्टूबर को सुनवाई करने के निर्देश दिए। जबलपुर की छात्रा अशिता दुबे व अन्य की ओर से याचिकाएं पेश कर अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया जा रहा है।



यह सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत की रोशनी में अवैध है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 19 मार्च, 2019 को प्रि पीजी नीट(मेडिकल)की परीक्षाओं में यह ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर रोक लगा। इस याचिका के साथ संलग्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बाद में शिक्षक भर्ती व मेडिकल ऑफिसर की भर्तियों में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर रोक लगा दी गई। इस बीच राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी करने का विधेयक पारित कर दो सितम्बर 2021 को इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया।सामाजिक संस्था यूथ फ़ार इक्वलिटी की ओर से इस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई। वहीं ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार के ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के कदम का समर्थन किया गया था। राज्य सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता व महाधिवक्ता पीके कौरव ने पक्ष रखा था। 

तर्क दिया गया था कि राज्य में ओबीसी की जनसंख्या के हिसाब से ही आरक्षण बढ़ाया गया। ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताद्वय इंदिरा जयसिंह व अभिषेक मनु सिंघवी ने इसके समर्थन में तर्क दिए थे। विशेष अधिवक्ताद्वय रामेश्वर सिंह, विनायक शाह ने भी सरकार के कदम को सही ठहराया था। सुनने के बाद कोर्ट ने अगली तिथि सात अक्टूबर को निर्धारित की है। 

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