Saturday, October 16, 2021

दुनिया की तीसरी सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति वाला देश है भारत

  Anonymous       Saturday, October 16, 2021

 नई दिल्ली 

अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे अधिक सैन्य खर्च वाला देश भारत अब स्वदेशीकरण की राह पर चल पड़ा है। इसी क्रम में 41 आयुध कारखानों को समायोजित कर सात नई रक्षा कंपनियों को बनाया गया है। इनमें से कई कंपनी गोला बारुद और विस्फोटक की जरूरतों को पूरा करेगी, तो दूसरी कंपनियां सेना के लिए वाहनों की कमी पूरा करेगी। इसी प्रकार हर कंपनी की एक जिम्मेदारी होगी। ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत भारत अब अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए खुद पर निर्भर हो रहा है। आइए जानते हैं कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ।



क्या उठाया कदम
- 7.3 अरब डॉलर की डीआरडीओ परियोजनाएं चल रही है सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए
- सृजन पोर्टल का उपयोग स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है
- अभी तक 1,776 घटकों और पुर्जों का स्वदेशीकरण किया गया है
- सरकार ने 2025 तक एयरोस्पेस, रक्षा उपकरण में 5 बिलियन यूएस डॉलर के निर्यात करने का फैसला किया है

क्या-क्या बन रहा भारत में
- डीआरडीओ एयरबस जेट्स का उपयोग करके एक नया एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट विकसित कर रहा है
- एचएएल से 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 48,000 करोड़ रुपये के सौदे पर सरकार लगा चुकी है मुहर
- डीआरडीओं ने 2027 तक 10-12 टन का अटैक हेलीकॉप्टर विकसित करने का लक्ष्य रखा है, जो अमेरिका के अपाचे हेलिकॉप्टर का जवाब होगा
 
इन फैसलों से रक्षा क्षेत्र को मिलेगी मजबूती
09 अगस्त 2020 : केंद्र सरकार से 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर अब रोक लगा दी। सरकार के इस फैसले से अब इनका उत्पादन और निर्माण भारत मे ही किया जाएगा। इस सूची में उच्च प्रौद्योगिकी वाले हथियार मसलन असॉल्ट राइफलें, सोनार सिस्टम, ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट आदि शामिल हैं।

13 जून 2021: रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और नवोन्मेष के लिए करीब 499 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के मकसद से करीब 300 स्टार्टअप, लघु, छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) और व्यक्तिगत अन्वेषकों को वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए इस निधि का इस्तेमाल किया जाएगा।

01 अक्टूबर 2021 : केंद्र सरकार ने 200 साल पुराना ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड को भंग कर दिया। सरकार के इस कदम से गोला-बारूद बनाने की पुरानी तकनीक से निजात मिलेगी। निजी कंपनियां बेहतर तरीके से सैन्य उपकरणों का निर्माण करेगी।

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