मीडिया से तकलीफ हैं तो मीडिया पर पुरे देश में रोक लगा दो, मैं आपके साथ हूं, पर उससे पहले एक बार मीडियाविहीन जीवन की बस कल्पना मात्र कर लीजिये श्रीमान जी।
या अनुभव चाहिए तो एक बार 1947 के पूर्व की पैदाइश अपने दादा-नाना से आजादी के पहले के जीवन के अनुभव साझा जरूर कर लेना। मालूम चल जायेगा की ये अफसरशाही क्या होती हैं और कैसे काम करती हैं।
नितांत आवश्यक जीवन, बिना मीडिया के भी देख लो एक बार, आपके घर के बाहर की सड़क ना जाने कितनी बार कागजों पर बन कर बिखर जायेगी। आपको पता चलना तो दूर, भनक भी नहीं लग पायेगी।
सरकारी अस्पताल के डॉक्टर से इलाज करवा कर देखो, मीडिया का एक अदम्य दबदबा हैं जिसने अफसरशाही की नाक में नकेल डाल रखी हैं, वर्ना आपकी बाते केवल बाते रह जाती घर की चार दिवारी को भी लांघ नहीं पाती।
जनता के हक़ की लड़ाई लड़ने वाला एक पत्रकार आपसे अपेक्षा भी क्या रखता हैं, यही की आप 2 या 3 रुपये प्रतिदिन का अख़बार खरीदकर पढ़े, जिसका लागत मूल्य ही 20 से 22 रुपये हैं....
कभी अपने किसी पत्रकार भाई से पूछा हैं की भाई तू जनता की लड़ाई लड़ता हैं तो तेरा घर कैसे चलता हैं?
कोई डराता या धमकाता तो नहीं,या यार कही जान का खतरा तो नहीं....
कभी नहीं.....बस हमें कोसना ही आता हैं।
कभी अदद पत्रकार से कभी जाना भी, की लेखन की क्या पीड़ा हैं?
अफसरशाही वाला जीवन बढ़िया था तो वाकई देशव्यापी मुहिम चलाइये श्रीमान जी, जिसमे मीडिया का बहिष्कार और मीडिया पर ताउम्र बैन लगे, क्योंकि मीडिया आपको बताता हैं कि जेएनयु में कन्हैया और उमर क्या बोला, कैसे सियाचिन से हनुमंत्थप्पा की विदाई हो गई, कौन से देश हिंदुस्तान की सरजमीं पर कब्ज़ा करना चाह रहे हैं। कैसे आतंकी को जी लगता व कैसे चुनाव में साध्वी आयोग के नियम को तोड़ती है।
मीडिया ये बताता हैं की आपका कौनसा नेता देश के लिए काम कर रहा हैं या कौनसा देश विरोधी तत्वों के साथ हैं, मीडिया ये बताता हैं की कौनसा अफसर भ्रष्टाचारी हैं कौन व्याभिचारी......यही अपराध हैं ना मीडिया का तो गुनहगार हैं मीडिया .....
तमाम राष्ट्रभक्त मिल कर देश में मीडिया को आजीवन बैन अब करवा ही दो।
मैं भी साथ हूं......कुछ एक अपवाद को छोड़ कर पूरी जमात को बदनाम करने वाले ठेकेदार आगे आओ,
तब तो जाने की कितना जिगर रखते हैं आक्रांतित जनता के ठेकेदार .......
क्योंकि क्रांति का नियम हैं, केवल जनाक्रोश क्रांति नहीं पैदा करता, बल्कि नेतृत्व की भूमिका और दिशा तय करती है श्रीमान जी।
किसी को बुरा लगा हो तो क्षमा ,
किन्तु मीडिया ने देश को दिशा दी हैं आगे भी हमारी वही भूमिका रहेगी।
आप अपवादों के दम पर पूरी कौम को गाली नहीं दे सकते...
और अंत में मन की बात
तख्तो ताज की चिंता बादशाहों को होती है... हम तो ऊपर वाले के दर के फ़क़ीर है.. अपनी रियासते साथ लेकर घूमते हैं....
#7_तारीख_तक_अपने_घर_पर_ही_रहे
वरिष्ठ पत्रकार आशीष पाठक जी की फेसबुक वॉल से साभार
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